सारे जहाँ का दर्द (SARE JAHA KA DARD) HINDI PAPERBACK 2017
135.00
लेखक के बारे में
प्रस्तुत पुस्तक के लेखक/कवि/उपन्यासकार डाॅ. कैलाशचन्द शर्मा एक ऐसी शख्शियत हैं जो अपने आप में एक नायब हीरे की तरह है जो तमस की दुनियां में प्रकाशमान है। इसी कड़ी में लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकों तथा उपन्यास, कहानी, लघुकथा, कविता जैसी विधाओं के रचनाकार डाॅ0 शंकी सहित्य जगत में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। इनके लेखन में अनुभव की सहजता व व्यापकता का राष्ट्रबोध व राष्ट्रहित सर्वोपरि है। बहुत हर्ष का विषय है कि इनकी रचनाओं ने ‘राष्ट्रीय स्तर’ पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाई है। हिन्दी विधा के अतिरिक्त इन्होंने अंग्रेजी भाषा में भी कुछ पुस्तकें लिखी हैं और पाठकों के बीच अपनी अपनी पैठ बनाई है। शंकीजी को राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त हुऐ हैं। वर्तमान में भी इनका लेखन कार्य जारी है जो समाज को एक नई दिशा दिखाने में कामयाब हुए हैं।
Description
मनुष्य और प्रकृति के मध्य द्वंद्व सदैव से चलता आ रहा है । उसमें कभी-कभार सामंजस्य के अवसर भी आते रहे हैं ।परंतु अधिकांश अवसरों पर विडंबनाओने ही अपना आधिपत्य जमा रखा है, परिणाम स्वरुप अनेक विषमताओं का प्रभाव हुआ है । जब जब भी ऐसा हुआ तब तक उसका अच्छा और बुरा प्रभाव समाज पर भी पड़ा । चाहे वह प्रत्यक्ष रूप में रहा हो अथवा अप्रत्यक्ष रूप में इसमें मुख्य भूमिका मानवीय प्रकृति अर्थात उसके स्वभाव के रही है क्योंकि जब मनुष्य की वैचारिकता में वह विरोध, ईर्ष्या,द्वेष, पूर्वाग्रह की अमानवीयता के ओले पैदा होने लगे तो उनके तूफान का बवंडर मनुष्य – मनुष्य के हृदय में प्यार, प्रेम, विश्वास, आस्था की भावना को विश कर देता है । तब आपसी भाईचारा समाप्त हो जाता है और विश्वास, घृणा और नफरत के जहरीले फल समाज को चखने पड़ते हैं और एक अनिष्टकारी दर्द समाज में, देश में और इस धरा पर व्याप्त हो जाता है । तब वह दर्द स्वयं का न रहकर सारे जहां का दर्द हो जाता है।
Product details
Paperback : 97 pages
Product forum : Paperback/Softback
ISBN-13 : 978-819369-233-2
Item Weight : 150 g
Product Dimensions : 21.5 x 14.0 x 1.0 cm
Publisher : Raveena Prakashan, New Delhi
Language: : Hindi
Seller : Meri Kavita (“My Book Store”, Kalyan MH)