Best Reading book Adhyatm Yog Mala
आध्यात्म योग माला संस्करण की पढ़ने योग्य पुस्तकें
वैसे तो इस दुनिया जहान में एक से बढ़कर एक पुस्तकें पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं और इन पुस्तकों के असंख्य पाठक हैं, पुस्तक प्रेमी हैं। आज हम केवल बात करेंगे ऐसे लेखक के द्वारा लिखी गई अध्यात्म विषय पर लिखी गई पुस्तक जिसमें रह वर्ग के लिए कुछ न कुछ है और इसे पढ़ने के बाद शायद ही कोई जौ-बिरला होगा जो इसकी प्रशंसा किए बिना रह सकेगा। यदि वह इन पुस्तकों को पढ़ने के बाद भी अपने जीवन के विषय में कुछ न जान पाया तो यहां कहने में कोई गुरेज नहीं हैं कि उसे अपने जीवन के बारे में, मानव सभ्यता संस्कृति के बारे में कुछ नहीं जान पाया और उसे निश्चित रूप से और अधिक शिक्षित करने की आवश्यकता है।
लेखक श्री मनवर सिंह रावत के द्वारा लिखित अध्यात्म योग माला के अभी तक कुल 5 भाग प्रकाशित हो चुके हैं तथा आगे के भागों को प्रकाशन निरंतर जारी है और जारी रहेगा। अभी तक प्रकाशित 5 भागों के लगातार प्रकाशन से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह पुस्तकें आमजन में कितनी लोकप्रिय साबित हुई हैं और पाठकों की रूचित के अनुसार उनमें जो कुछ पाठकों को चाहिए वह सब कुछ है। प्रत्येक भाग को पढ़ने के बाद पाठक अवश्य कहता है कि इसके और भागों का प्रकाशन शीघ्र ही कराया जाकर उनको यह पुस्तक उनको पाठन हेतु दी जाए।
हमारा भी सदैव प्रयास रहता है कि पाठकों की रूचि के अनुसार ही उनको पाठ्य सामग्री समय पर दी जाए जिससे उनके मन में इन पुस्तकों को पढ़ने की रूचि बनी रहे।
लेखक मूलतः उत्तराखण्ड से होकर अध्यात्म में गहरी रूचि रखते हैं उनकी इस अभिरूचि का अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके द्वारा जब उनकी यह पुस्तक अध्यात्म योग माला का प्रथम भाग लिखना शुरू किया था तब से ही उनकी लगातार इन पुस्तकों के भागों को लिखने का क्रम अभी तक जारी है और रहेगा। परिवार भरा पूरा है पुस्तक लेखन की प्रेरणा लेखक को अपने पुत्र से मिली जिन्होंने अपने पिता का इस कार्य में भरपूर सहयोग किया है। परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का होने के कारण से घर में सुख-शांति का माहौल सदा बना रहता है साथ ही परिवार का एक साथ रहना बहुत बड़ी बात है। अब बात करते हैं उनकी पुस्तक अध्यात्म योग माला के प्रथम 5 संस्करणों की। पुस्तक के हर संस्करण में अध्यात्म का मानव जीवन से गहरा नाता और मानव जीवन के उत्थान के लिए मनुष्य को क्या कुछ करना चाहिए अथवा क्या नहीं ? हरेक बिन्दु को स्पष्ट और उदाहरण देकर समझाया गया है। मानव जीवन उसे क्यों मिला और इसमें ईश्वर की क्या मंशा रही है और उसकी भूमिका कब-कब और क्यों पहले से ही निर्धारित की हुई है। हम कभी न कभी कुछ गलत हो जाने पर दूसरे पर दोषारोपण करते हैं लेकिन हम स्वयं उसके लिए दोषी है यह बात का मंथन कभी नहीं करते हैं। प्रकृति के द्वारा मानव को क्या दिया जा रहा है और मानव के द्वारा उसे वापस क्या किया जा रहा है ऐसे ही बहुत से उदाहरणों से समझाया गया है जो शायद ही अन्य किसी पुस्तक में ऐसे विवरण दिया गया हो।
अध्यात्म योगमाला पुस्तक को पढ़ने के बाद आप खुद ही निर्णय कर सकते हैं कि पुस्तक को लेखक ने किस प्रकार लिखा होगा और उसकी क्या मंशा रही होगी। हमारा ही नहीं पाठकों का भी ऐसा विश्वास है यह पुस्तक उनकी मुक्ति का एक बेहतरीन साधन बन सकती है और उनके इस संसार के भवसागर से पार लगाने वाली नाव तो है ही।
यदि हम इस संसार में आकर अपने प्रति, अपने परिवार, देश एवं समाज के लिए कुछ न कर पायें तो हमारा जीवन किस काम का ? लेकिन यह बहुत कम ही लोग हैं जो यह बात समझने के लिए तैयार होते हैं। हम और आप जो कुछ भी करते हैं वह परमात्मा के पास हर वक्त, हर पल पहले से ही मौजूद रहता है और जो कुछ भी भविष्य में होने वाला है उसका कारक सिर्फ और सिर्फ परमात्मा है। हमारी मुक्ति हमारे हाथ में है और हम उसे दूसरे में देखते हैं। हमारी क्षमताएंे असीमित हैं और भरपूर शक्तिशाली भी हैं एक बार जो मन में ठान लिया जाए तो उसे पूरा ही करने के बाद हम कुछ सोच पाएं तो यह एक अलग बात होगी।
कहने को यहां बहुत कुछ है लेकिन सब कुछ यहां कुछ शब्दों में बयां करना थोड़ा सा मुश्किल होता है। अध्यात्म योगमाला के यदि आप संस्करणों को पढ़ते हैं तो निश्चित ही आपका नजरिया गारंटी के साथ बदल जाएगा।
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धन्यवाद।