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राम पर आक्षेप कितने अनुचित, कितने उचित (Hindi) Paperback 2020

Original price was: ₹ 200.00.Current price is: ₹ 180.00.

Book Details

AuthorVijay Ranjan
Pages162
Book FormatPaperback
ISBN 13978-81-948225-2-3
Dimensions21.7 x 14.5 x 2.5 cm
Item weight150 gm
LanguageHindi
Publishing YearMarch 2022
Book GenreReligious Research Book
PublisherAapas Publisher & Distributer 
SellerBuks Kart “Online Book Store”

अप्रतिम महाकाव्य ‘रामायणम्’ के रचयिता आदि-महाकवि वाल्मीकि ने 24000 श्लोकों में सुविचारित स्वरूप में मुख्यतः सर्वगुणोपेत नायक दाशरथ राम के द्वारा आजीवन आचरित ‘चरित्’ का गुणगान किया है  वह भी ऋषि प्रवर नारद एवम् सृष्टि-नियंता बहुज्ञ ब्रह्मा के परामर्श के पश्चात्। आदि-महाकवि ने आलोच्य कृत्ति में अन्ततः दाशरथ राजकुमार राम को उनके आदर्शशील जीवनचरित के आधार पर मर्यादापुरुषोत्तम, सर्वश्रेष्ठ शासक-प्रशासक सिद्ध किया है। एतदर्थ, आदि-महाकवि ने अपनी ओर से कोई ‘फतवा’ नहीं दिया व..र..न् , उन्होंने दाशरथ राम के सत्यसंध, चरित्रवान्, शिवशील, एकपत्नीव्रती, सार्वसुन्दरम्शील, धर्मवान्, ऋतवान्, लोककल्याणकारी, लाके हितरतः, सुधीर, वीर, शत्रुजयी आचरण को ‘न ते वागनृता’ स्वरूप में उकेरित किया। त..द..पि ‘बिनु काज दाहिने-बाएँ’ रहने वाले स्व-प्रकृत्या कलुष-विवश कथित बौद्धिक राम-चरित में कतिपय छिद्रान्वेषण जब-तब अन्वेषित कर ही लेते हैं कि येन-केन प्रकारेण राम को कठघरे में खड़ा किया जा सके।

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Description

लेखक के बारे में:-

प्रस्तुत पुस्तक के लेखक श्री विजय रंजन जी श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या से एक जाने-मान साहित्यकार हैं जिन्हें कई गौरव सम्मान प्राप्त हैं तथा पेशे से वह अधिवक्ता रहे हैं। वह वर्ष 1965 से अपना लेखन एवं पत्रकारिता का कार्य सतत् जारी रखे हुए हैं । लेखक के द्वारा अपने जीवन काल में कई पुस्तकों का लेखन कर उन्हें प्रकाशित करवाया है जो जनमानस में काफी लोकप्रिय रहीं हैं तथा कई पुस्तकें प्रकाशाधीन हैं जो शीघ्र ही पाठकों के बीच होगीं। लेखक के द्वारा सम-समायिक विषयों पर अच्छा लेखन कार्य किया है साथ ही इतिहास के शोध कार्य में रूचि रखते हैं । कई पत्रिकाओं में संपादन कार्य किया है व्यक्तित्व के धनी श्री रंजन अपनी लेखन शैली से जाने-पहचाने जाते हैं ।

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