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Devi Urmila Hindi Paperback (October 2024)

Original price was: ₹ 250.00.Current price is: ₹ 230.00.

Book Details

Author Sunil Kumar Verma “Sagar”
Pages 77
Book Format Paperback
ISBN 978-81-19545-87-2
Dimensions 21.7 x 14.5 x 0.2 cm
Item weight 120 gm
Language Hindi
Publishing Year October 2024
Book Genre Poetry
Publisher BMP PUBLISHER
Seller Buks Kart “Online Book Store”
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Description

राम कथा से सम्बंधित कई ग्रन्थों या पुस्तकों में सर्वाधिक उपेक्षित पात्र “देवी उर्मिला” की। सर्वाधिक लिए कह रहा हूँ क्योंकि रामकथा को सफल और सार्थक बनाने में देवी उर्मिला के दिये गये योगदान और किये गये त्याग के अपेक्षाकृत वर्णन लेशमात्र ही मिलता है जो आदिकवियों द्वारा उपेक्षित किये जाने का प्रमाण है ।

मर्यादा परुषोत्तम श्रीरम अपने पिता के वचन को निभाने के लिए चौदह वर्षों का वनवास स्वीकार कर, सीता अपने पतिव्रत धर्म निभाने के लिए पति के साथ वन गमन कर, वहीं लक्ष्मण और भरत भी भ्रातृत्व प्रेम निभाकर महान हो गये, परंतु देवी उर्मिला नव- विवाहिता होते हुए भी अपने पति लक्ष्मण को राम-जानकी को सौंपकर अपने सांसारिक सुख के सबसे महत्वपूर्ण अंश से हाथ धोकर भी इतिहास में मौन रह गई और आदि कवियों की उदासीनता के कारण उपेक्षित होकर राम कथा में गौण हो गयी। मैं इसी चिर उपेक्षित देवी स्वरूपा नारी “उर्मिला’ के व्यक्तित्व और कीर्तित्व को कलमबंद करने जटिल कार्य अपनी पुस्तक “देवी उर्मिला” के माध्यम से कर रहा हूँ।

मैं इस कार्य को जटिल इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि ये लीक से हटकर करने वाला कार्य है ।

देवी उर्मिला के चरित्र को मुखर रूप से उजागर किया गया हो। इस सन्दर्भ में मैं दो रचनाओं का जिक्र करना चाहूँगा जिसका उपलब्धता सुलभ है। पहली महावीर प्रसाद द्विवेदी की ‘कवियों की उर्मिला विषयक उदासिनता’ और दूसरी मैथली शरण गुप्त की ‘साकेत’। कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता एक निबंधात्मक रचना है जिसमें द्विवेदी जी ने मुख्य रूप से इस बात पर जोर दिये कि रामायण की इतनी महत्वपूर्ण पात्र जो त्याग, बलिदान, कर्तव्यपरायण, पति-परायण जैसे सद्गुणों को उच्च स्तर पर पहुँचाने का पावन कार्य किया साथ ही जिसने उच्चादर्शों की कीर्तिमान स्थापित की ।

वहीं ‘साकेत’ में गुप्त जी के बारह सर्गो की पुस्तक में नवम सर्ग में उर्मिला के वियोग का वर्णन किया है जो निश्चित ही अद्वितीय है। निःसंदेह ये दोनों रचना हिन्दी साहित्य की अनमोल धरोहर है। मैं तो बस ये बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि उर्मिला एक ऐसा विषय रहा है जिस पर हिन्दी माहित्य में लिखा कम गया है । किंतु इनके प्रयास से ही एक अचर्चित, अवर्णित और अघोषित चरित्र जनमानस के बीच आ सका ।    इसी कमी को दूर करने के क्रम में मैं एक कठिन प्रयास अपनी इस पुस्तक ” देवी उर्मिला ” के माध्यम में इस आशा के साथ कर रह हूँ कि सूधी पाठक वर्ग को उर्मिला के विषय में विस्तृत ज्ञान-बोध करा सकें।

इस पुस्तक में वर्णित देवी उर्मिला से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी का स्रोत ऊपर रामकथा, वर्णित रचना एवं अन्य विभिन्न स्त्रोत हैं । इन्हीं स्रोतों से जो सीमित जानकारी देवी उर्मिला के बारे में मिल पाया उसे क्रम में सजाकर अपने शब्द का चोला पहनाकर एक घागे में पिरोने का कार्य किया हूँ । अतः बड़े स्नेह और प्रेम के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं; “देवी उर्मिला”…..

                     साभार

                 सुनील सागर

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