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Tut Gaye Veena Ke Taar Hindi Paperback, Dec. (2023)

Original price was: ₹ 250.00.Current price is: ₹ 200.00.

Book Detail

Author Jagdish Prasad Tiwari
Pages 100
Book Format Paperback
ISBN 13 978-81-19545-28-5
Dimensions 21.7 x 14.5 x 0.5 cm
Item weight 170 gm
Language Hindi
Publishing Year December 2023
Book Genre Poetry
Publisher Bright MP Publisher
Seller Buks Kart “Online Book Store”
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Description

कविता संग्रह का कवि चिंतित-व्यथित होकर वियोग के परिधि-पाश में आबद्ध है । बिच्छोह की अग्नि में आतप्त है । असमय वियोग के आघात से आहत है । वियोग में ही व्यथा ने मन को मथा है, जिसमें से काव्य रूपी नवनीत निकला है। वही काव्य नवनीत देश-काल की आभा बनेगा, जो अतीत को भी प्रभावित करेगा।वियोग के व्यथित धरातल पर जन्मी कविताएं छायावाद का प्रतीक परिलक्षित हो रही हैं। प्रस्तुत काव्य संग्रह में छायावाद प्रतिबिंबित हुआ है। यह छायावाद काव्य यथार्थ अनुभूति का परिचायक है । वियोग ही विवश करता है कि दृग-दृश्य में कोई न कोई छाया, प्रतीक, प्रतिबिंब होना चाहिए जिससे कि मन, हृदय में व्याप्त व्यथा किसी न किसी रूप में संदर्शित हो।प्रस्तुत काव्य संग्रह छायावाद की घनीभूत छांव में  सृजित हुआ है । यह छायावाद का प्रतिनिधित्व किस प्रकार से करेगा, यह प्रबुद्घ पाठकों की परिपक्व प्रज्ञा-परिधि  पर निर्णय हेतु छोड़ दिया गया है। यहाँ यह ज्ञातव्य होना चाहिए कि यह काव्य संग्रह अप्रबंधकीय है ।

लेखक के बारे में:
लेखक जगदीश प्रसाद तिवारी 50-52 वर्षों से निरंतर साहित्य सृजनरत हैं। प्रचार-प्रसार से दूर इनकी मौन साहित्य साधना ही इनके प्रणयन की पावन प्रेरणा है। इनकी गद्य-पद्य विधा में छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, यथार्थवाद, वैज्ञानिक दर्शन स्पष्टतः दृष्टिगोचर होते हैं। प्रकृतिवाद के भी वे प्रबल समर्थक है। उसी से प्रेरित होकर इन्होंने गद्य-पद्य में अतुकांत रूप से हजारों रचनाओं का सफल सृजन किया है। इनके अथक, स्वस्फुरण प्रणयन में महाकाव्य, खंड-काव्य, उपन्यास, गीति नाटय, नाटक, एकांकी, निबंध, लेख, व्यंग्य, गीत, गजल, कविता, विज्ञान गीत, बाल विज्ञान कथाएँ, विज्ञानगल्प, बाल कथाएँ, बाल गीत, हाईकू कविताएं, दार्शनिक लेख, सामयिक चिंतन लेख इत्यादि सम्मिलित है। इन्होंने कई पुस्तकों की समीक्षाएँ भी लिखी है। दोहा, कुंडली भी अनुकांत रूप से लिखे हैं जो पिंगल नियमों से मुक्त है। इनका साहित्य संसार अब पुस्तक रूप में प्रकाशन की प्रतीक्षा में है।

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