Sale!

Mallikarjun Jyotirling Hindi Paperback 2020

Original price was: ₹ 200.00.Current price is: ₹ 120.00.
Buy 10 to get 10% discount

Book details

  • Author             : Vikas Bam
  • Paperback        : 100 pages
  • Product forum : Paper Book
  • ISBN-13          : 978-81-950286-5-8
  • Item Weight     : 130 g
  • Dimensions      : 21.7 x 14.5 x 2.5 cm
  • Publisher          : Bright MP Publisher
  • Language:        : Hindi
  • Book Genre     : Religious Research
  • Seller               : Buks Kart “Online Book Store”

विभिन्न धर्मों का जन्म तब हुआ जब प्रागैतिहासिक काल में मानव सभ्यता का धीरे-धीरे विकास होने लगा। मानव को भी यह महसूस होने लगा कि इस सृष्टि में कोई ऐसी शक्ति है जो पूरे ब्रह्माण्ड को नियंत्रित करती है। यही बात उसके मन में उस रहस्य को जानने की जिज्ञासा उत्पन्न करने लगी और उस अदृष्य शक्ति के प्रति आस्था जगाने लगी। उस शक्ति को मानने के तौर-तरीकों ने ही एक परंपरा को जन्म दिया, जिसका हमारे पुरातन ऋषियों एवं मनीषीयों के द्वारा स्वरूप-निर्धारण कर इसे धर्म की संज्ञा दी। संसार में आज जितने भी धर्म है वे सभी इन जिज्ञासाओं के समाधान का ही प्रतिफल हैं। लेखक के द्वारा प्रस्तुत पुस्तक में कालों के काल महाकाल जी के मल्लिकार्जुन मंदिर के इतिहास व उनकी महिमा का चित्रण प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है।

Compare

Description

Description

भारतीय संस्कृति में आध्यात्म का एक विशेष महत्व रहा है। आध्यात्म की बात करें तो देव-संस्कृति को विस्मृत नहीं किया जा सकता है। देव संस्कृति की बात करें तो देव भूमि उत्तराखंड को इससे पृथक नहीं रखा जा सकता है। उत्तराखण्ड जिसे देवभूमि नाम से भी जाना जाता है, यहाँ कोई ऐसा स्थान नहीं होगा जहाँ कोई ना कोई देव मंदिर न हो। देवताओं की चर्चा हो तो देवों के देव महादेव की चर्चा न हो, यह हो ही नहीं सकता है। महाशिवपुराण में वर्णित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में श्रीशैल (आंध्र-प्रदेश) स्थित द्वितीय ज्योतिर्लिंग को श्री मल्लिकार्जुन महादेव के नाम से जाना जाता है। इस पुस्तक में लेखक द्वारा श्री मल्लिकार्जुन महादेव का श्रीशैल (आंध्र-प्रदेश) से शिखर (नेपाल) तक तथा शिखर (नेपाल) से अंगलेख-अस्कोट, उत्तराखंड (भारत) तक पहुँचने के वृतांत को जनश्रुति एवं अनेकों प्रमाणित साक्ष्यों से प्रति अगाघ आस्था के साथ-साथ लेखक के अथक परिश्रम का प्रतिफल यह पुस्तक है। इस प्रयास में यदि कोई कमी रह गई हो तो सुधी पाठक-जन उक्ति का अनुशरण करते हुए त्रुटियों को अपने मन-मस्तिष्क में स्थान नहीं देंगे। अपेक्षा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि लेखक के इस लघु प्रयास को अपनी स्नेहिल दृष्टि से परिभाषित करने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे। आपका यह दृष्टिकोण ही लेखक के इस मार्ग का पाठ्य बनेगा।

Our Score
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

Product Enquiry

Please Login to make enquiry about this product
WhatsApp us