Hala Se Samajvaad Paperback (हाला से समाजवाद हिन्दी) 2021
175.00
Book Details
Author | Bakaram “Chanchal” |
Pages | 150 pages |
Book Format | Paperback |
ISBN 13 | 978-93-91143-08-4 |
Dimensions | 21.7 x 14.5 x 0.5 cm |
Item weight | 120 gm |
Langauge | Hindi |
Publishing Year | June 2021 |
Book Genre | Poetry |
Publisher | Bright MP Publisher |
Seller | Buks Kart “Online Book Store” |
यह संसार दुःख का आकार है। मनुष्यों का नहीं, अपितु प्राणियों का ऐसा कोई भी वर्ग नहीं हैं, जो इस जगत में पूर्णरूप से सर्वदा सुखी व सन्तुष्ट रह सकें। किसी को सामाजिक उत्पीड़न है तो किसी को मानसिक एवं शारीरिक। सामाजिक उत्पीड़न का कारण हैं, समाज के घटकों द्वारा पालित दुव्र्यसन एवं कदाचार। आज के युग में मानव मूल्य घट गया है। चारों ओर त्राही-त्राही मची हैै। दुव्र्यसन, दुराचार, कदारचार, व्यभिचार एवं भ्रष्टाचार पनप रहे हैं। सभी वासना के शिकार परिलक्षित होते हैं। गहराई से सोचा जाए जो इसकी बुनियाद हैं-नशा। प्रस्तुत रचना ‘‘हाला से समाजवाद’’ में यह बताने का प्रत्यन किया गया है कि मद्य यानी शराब (नशा) ही सब कदाचरणों की बुनियाद है।‘‘हाला’’ यह मानव के लिए नहीं, राक्षसों के लिए है। यह मनुष्य को राक्षस बनाती है। मानव एवं राष्ट्रीय जीवन के पतन में इसका विशेष हाथ रहा है।
Description
Description
जिला बैतूल (म0प्र0) के अन्तर्गत सतपुड़ा पर्वत की उपश्रेणी ‘‘झिटापाटी’’ के पर्वत मालाओं से निकसित, माँ, उद नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा ग्राम सोनखेडी है। प्रकृति की गोद में बसा यह ग्राम धार्मिक संस्कृति का अनुपम उदाहरण है । यहीं पर पुस्तक के लेखक बालक बकाराम का 4 जनवरी सन् 1940 में जन्म हुआ । पिता का नाम तुकाराम जी पंडाग्रे और माता का नाम श्रीमती फूलाबाई पंडाग्रे था । पिता सामान्य किसान थे । आठ वर्ष की अल्पायु में ही पिता का स्वर्गवास हो गया । ग्राम खेड़ी कोर्ट के मा.शा. के प्राथमिक से प्राथमिक एवं माध्यमिक परीक्षा सन् 1959 में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । तत्पश्चात् सन् 1959 में टी.टी.सी. का एक वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त कर वह वह सन् 1960 अगस्त मा0शा0 साईंखेड़ा में शिक्षक के पद पर नियुक्त हो गये । सन् 1972 में प्राचार्य श्री एम0एम0 श्रीवास्तव की प्रेरणा, प्रोत्साहन एवं मार्गदशन में सन् 1972 में राजनीति विषय से (सा0वि0सा0) ‘एम0ए0’ की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा सन् 1976 में संस्कृत विषय में (सा0वि0सा0) ‘‘एम0ए0’’ की परीक्षा उत्तीर्ण की । इसके अलावा किला पारडी से ‘संस्कृत’ ‘विशारद’ एवं गीता प्रेस गोरखपुर संचालित परीक्षा में ‘‘रामायण रत्न’’ की परीक्षा उत्तीर्ण की है । साहित्य के क्षेत्र में पुस्तक ‘‘हाला से समाजवाद’’ अप्रकाशित रचना है जो सन् 1979 में तैयार हो चुकी थी परन्तु कुछ विषम परिस्थतियों के कारण अप्रकाशित रही जो अब प्रकाशित है । ‘‘चंचल’’ जी की प्रकाशित रचनाएं निम्नलिखित हैं:-(1)गुलदस्ता (2) काव्य कुसुम (3) क्या ? तुम मेरी कविता हो? (4) चलता पथिक। लेखक ने शा0उच्च0मा0वि0 खेड़ी कोर्ट में लगभग 29 वर्ष सेवाएं दी हैं । सन् 2001 माह जनवरी शा0उच्च0मा0वि0 पौनी बैतूल (म0प्र0) से सेवा अवकाश प्राप्त कर वर्तमान में लेखक विश्व गायत्री परिवार के माध्यम से जागरण और लोक मंगल के कार्यों में रत् हैं।
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